2025 में पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले में 26 लोगों की जान गई। इस घटना ने सभी देशों का ध्यान भारत-पाकिस्तान तनाव की ओर खींचा है।

इस्लामिक देशों का संतुलित रुख: क्यों नहीं दिख रहा पाकिस्तान को समर्थन?
मुख्य कारण:
- मुस्लिम देशों ने धार्मिक एकता की बजाय आर्थिक और भू-राजनीतिक हितों को तरजीह दी है।
2. भारत के साथ मजबूत व्यापारिक रिश्ते समर्थन में रुकावट बन रहे हैं।
3. कश्मीर को अधिकांश देश द्विपक्षीय मुद्दा मानते हैं।
ईरान का तटस्थ रुख और मध्यस्थता की पेशकश:
ईरान ने खुद को न्यूट्रल पार्टी के रूप में पेश किया है।
भारत के साथ चाबहार पोर्ट जैसे प्रोजेक्ट्स ईरान के लिए अहम हैं।
क्षेत्रीय स्थिरता को प्राथमिकता देते हुए ईरान ने पाकिस्तान का पक्ष नहीं लिया।
सऊदी अरब और ‘विजन 2030’
सऊदी अरब भारत के साथ ऊर्जा, निवेश और श्रमिक बाजार में जुड़ा है।
कश्मीर मुद्दे पर उसने कोई विवादास्पद बयान नहीं दिया।
‘Vision 2030’ के तहत सऊदी भारत को आर्थिक साझेदार मानता है।
कतर की न्यूट्रल डिप्लोमेसी
कतर की विदेश नीति आर्थिक स्थिरता पर केंद्रित है।
धार्मिक पक्षपात की बजाय कतर ने आर्थिक हितों को महत्व दिया।
इस मामले में उसने कोई पक्ष नहीं लिया।
UAE का व्यापारिक संतुलन
UAE ने भारत की IWT निलंबन नीति की आलोचना की, लेकिन पाकिस्तान का समर्थन नहीं किया।
$85 अरब का द्विपक्षीय व्यापार भारत के साथ इसके रिश्तों को संतुलित रखता है।
भारतीय निवेश और लेबर मार्केट पर इसकी निर्भरता महत्वपूर्ण है।