🔥 एक करोड़ डॉलर के इनामी आतंकी से मिले डोनाल्ड ट्रंप!

जिस अल-शरा को अमेरिका ने घोषित किया आतंकवादी, सऊदी में उसी से मिलाया हाथ

Donald Trump met Ahmad al-Shara: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इन दिनों चार दिवसीय अरब देशों की यात्रा पर हैं। इस दौरे के तहत सऊदी अरब पहुंचे ट्रंप ने एक इन्वेस्टमेंट फोरम को संबोधित करते हुए सीरिया पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों को हटाने की घोषणा की। उन्होंने कहा, “हम सीरिया को एक नया मौका देना चाहते हैं।”

लेकिन इस घोषणा से एक दिन बाद जो घटना सामने आई, उसने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हलचल मचा दी।

🧨 कौन हैं अहमद अल-शरा?

अहमद अल-शरा को अबू मोहम्मद अल-गोलानी के नाम से भी जाना जाता है।
वह सीरिया के प्रतिबंधित आतंकी संगठन हयात तहरीर अल-शाम (HTS) के प्रमुख हैं।

अमेरिका ने उसे आधिकारिक रूप से आतंकवादी घोषित किया हुआ है।

उसके सिर पर 1 करोड़ डॉलर का इनाम भी रखा गया है।

उसने इराक युद्ध के दौरान अमेरिकी सेना के खिलाफ विद्रोहियों के साथ लड़ाई लड़ी थी।

🤝 सऊदी अरब में हुई विवादित मुलाकात

डोनाल्ड ट्रंप और अहमद अल-शरा की यह मुलाकात सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की मौजूदगी में हुई।
बताया जा रहा है कि यह बैठक ट्रंप के कतर रवाना होने से पहले आयोजित की गई थी।

इस दौरान तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोआन भी फोन कॉल के माध्यम से संपर्क में रहे।

🌍 अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

इस बैठक को लेकर दुनिया भर में सवाल उठने लगे हैं:

क्या ट्रंप अब अमेरिका की विदेश नीति बदलना चाहते हैं?

क्या यह अमेरिका की आतंकवाद के खिलाफ घोषित नीति के विपरीत कदम है?

क्या यह बैठक आगामी चुनावों को ध्यान में रखकर रणनीतिक स्तर पर हुई है?

विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर अमेरिका का कोई पूर्व राष्ट्रपति खुलेआम एक घोषित आतंकवादी से हाथ मिलाता है, तो इससे अमेरिका की वैश्विक छवि को नुकसान पहुंच सकता है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा सऊदी अरब की अपनी यात्रा के दौरान सीरिया पर प्रतिबंधों में ढील देने और उसकी नई सरकार के साथ संबंधों को सामान्य बनाने की योजना की घोषणा के बाद सीरिया के लोग सऊदी और सीरियाई झंडे लहराकर जश्न मना रहे हैं।

🔚 निष्कर्ष

डोनाल्ड ट्रंप और अहमद अल-शरा की मुलाकात ना केवल प्रतीकात्मक है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों और सुरक्षा नीति के दृष्टिकोण से बेहद संवेदनशील भी।
आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि अमेरिका की सरकार इस पर क्या रुख अपनाती है और वैश्विक राजनीति किस दिशा में जाती है।